महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फंसा हुआ है मामला,अक्ल बड़ी या भैंस
अक्ल बड़ी या भैंस,दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई-----
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी ।
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा ॥
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे ।
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुःख पाये ॥
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरबार सी.एम. बनवायो ।
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ ॥
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई ।
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बॉयफ्रेन्ड ना होये ॥
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे ।
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे ॥
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती ।
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये ॥
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी ।
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने ॥
जाकी अकल में गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये ।
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी ॥
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पड़ते जूते ।
Wednesday, August 18, 2010
Akal bari ya Bhains Found it on the net...
Posted by Jitender "Vicky" Bablani at 18:36 1 comments
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